बर्लिन दीवार गिरने के बाद अंतरराष्ट्रीय विवादों का क्या हुआ?
८ नवम्बर २०१९20वीं सदी पर युद्ध का बोलबाला था. इस दौरान हुए दो विश्वयुद्धों में अनुमानतः 8 करोड़ लोग मारे गए. फिर शुरू हुआ शीत युद्ध. अमेरिका और रूस के बीच हथियार होड़. यूरोप और दुनिया के कई हिस्सों में दो गुट आमने सामने थे. एशिया, पश्चिम एशिया, अफ्रीका और लैटिन अमेरिका के देश महाशक्तियों के बीच छद्म खूनी संघर्ष की कीमत चुका रहे थे. फिर मध्य यूरोप में शांतिपूर्ण क्रांति ने 1989 में पूरब और पश्चिम के बांटने वाले लौह पर्दे को गिरा दिया. शीत युद्ध की समाप्ति की घोषणा हुई. बर्लिन स्थित थिंक टैंक ग्लोबल पब्लिक पॉलिसी इंस्टीट्यूट की सारा ब्रॉकमायर कहती हैं, "हमने उम्मीद की थी कि शीतयुद्ध की समाप्ति के बाद शांति का काल शुरू होगा."
क्या कम हुए युद्ध?
यह उम्मीद जल्द ही निराधार साबित हुई. अभी भी दुनिया भर में बहुत सारे सशस्त्र विवाद हो रहे हैं. 2000 के दशक के मध्य से उनकी संख्या फिर से बढ़ रही है. ब्रॉकमायर कहती हैं, "फिर से ज्यादा विवाद हो रहे हैं, ज्यादा हिंसा हो रही है और सीरिया युद्ध के बाद से युद्ध में मरने वालों की तादाद भी बढ़ रही है." इसकी वजह 1990 के मध्य में युगोस्लाविया का गृहयुद्ध, सियेरा लियोन और डेमोक्रैटिक रिपब्लिक ऑफ कॉन्गो के संघर्ष भी हैं, जिसके बारे में पहले किसी ने सोचा भी नहीं होगा. सीरिया और माली के युद्ध के साथ यह रुझान जारी है.
शांति और विवाद पर जानकारी जुटाने वाले उपसाला के रिसर्चरों ने पिछले दस सालों में 23 युद्धों और 162 छोटे विवादों को रजिस्टर किया है. वे छोटे विवाद उन संघर्षों को मानते हैं जिनमें साल में सौ से कम मौतें होती हैं.सारा ब्रॉकमायर कहती हैं कि विवाद के संकेत पहचानने में दुनिया बेहतर हुई है, लेकिन उसे रोकने की काबलियत अभी भी नहीं आई है, "हमने अभी तक नहीं सीखा है कि विवाद के भड़कने से पहले उसे रोकने के लिए समय रहते पर्याप्त राजनीतिक इच्छाशक्ति जुटा सकें."
उलझे हुए विवाद
वैश्वीकरण के कारण बर्लिन दीवार के गिरने के बाद युद्ध और विवाद जटिल हो गए हैं. दो बड़े गुट रहे नहीं, लेकिन विवाद में फंसे पक्षों के अलावा कई दूसरे पक्ष में शामिल होते हैं जो अपने सैनिक भेजते हैं, हथियार बेचते हैं, या फिर सैनिक ट्रेनिंग देकर विवाद में शामिल होते हैं. 2000 के शुरू में आम तौर पर दो से तीन पार्टियां विवाद में शामिल होती थीं, लेकिन बाद के सालों में उनकी संख्या बढ़कर औसत चार से पांच हो गई है. उसकी मुख्य वजह मध्य एशिया के विवादों की जटिलता है.
अफगानिस्तान में 2009 में तालिबान के खिलाफ संघर्ष में 46 देश शामिल थे. उनमें नाटो जैसे सैनिक सहबंध भी शामिल थे जो वहां अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा सहायता बल का नेतृत्व कर रहे थे. इस समय सीरिया में चल रहा युद्ध उतना ही जटिल है. लगातार बदलते हितों के बीच ब्लूमूर्ग ने अक्टूबर में सीरिया के विवाद में 10 मुख्य पक्षों के शामिल होने की बात कही है. 2017 में दुनिया भर में देशों ने अपनी सेना पर 1800 अरब यूरो खर्च किया. यह दुनिया के सकल उत्पादन का लगभग 2 प्रतिशत है. यह भी एक रिकॉर्ड है लेकिन निचला रिकॉर्ड. पिछले सालों में सैनिक खर्च में आनुपातिक रूप से लगातार कमी आई है.
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जब बर्लिन की दीवार गिरी कहां थे ये